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गेहूं में लगने वाले कीट एवं इनके नियंत्रण के उपाय

गेहूं में लगने वाले कीट एवं नियंत्रण के उपाय क्या है इसके बारे में विस्तार से यहाँ जानेंगे। गेहूं में रोग नियंत्रण के बारे में पिछले पोस्ट में बताया है उसे भी जरूर पढ़ें। रबी फसल में गेंहू की खेती अधिकांश जगहों में किया जाता है। खरीफ फसल जैसे – धान की खेती के बाद गेंहू की खेती किया जाता है। अगर उन्नत तरीके से खेती किया जाय तब अधिक से अधिक पैदावार लिया जा सकता है। लेकिन गेंहू की पैदावार को कीट बहुत अधिक प्रभावित करते है। अगर समय रहते कीट नियंत्रण के उपाय नहीं किये जाते है, तब ये फसलों को बर्बाद कर सकते है। हमारे अधिकांश किसान भाई इन कीटों से सावधान नहीं रहते और इसके नियंत्रण के पर्याप्त उपाय नहीं जानते है, तब ऐसी स्थिति में फसल को काफी नुकसान होता है।

गेंहू की फसल में प्रमुख रूप से कौन कौन से कीट लगते है और इसके नियंत्रण के उपाय क्या क्या है इसके बारे में यहाँ विस्तार से जानेंगे। अगर आप गेंहू की खेती कर रहे है तब आपको यहाँ बताये गए कीट नियंत्रण की जानकारी को अवश्य पढ़ना चाहिए। ये हमारे सभी किसान भाइयों के लिए काफी उपयोगी है।

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गेहूं में लगने वाले प्रमुख कीट का नाम

  1. दीमक – यह एक सामाजिक कीट है तथा कालोनी बनाकर रहते है। एक कालोनी में लगभग 90 प्रतिशत श्रमिक, 2-3 प्रतिशत सैनिक, एक रानी व एक राजा होते है। श्रमिक पीलापन लिये हुए सफेद रंग के पंखहीन होते है, जो फसलों को क्षति पहुंचाते है।
  2. गुजिया वीविल – यह कीट भूरे मटमैले रंग का होता है जो सूखी जमीन में ढेले एवं दरारों में रहता है। यह कीट उग रहे पौधों को जमीन की सतह काट कर हानि पहुँचता है।
  3. माहूँ – हरे रंग के शिशु एवं प्रौढ़ माहूँ पत्तियों एवं हरी बालियों से रस चूस कर हानि पहुंचाते है। माहूँ मधुश्राव करते है जिस पर काली फफूँद उग आती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।

गेहूं में लगने वाले कीटों का नियंत्रण के उपाय

गेंहू की फसल जब थोड़ा बड़ा होता है तब इसमें कीट लगने की परेशानी आ सकती है। किसान भाई अपने खेत का अच्छे से मुआयना करें। अगर ऊपर बताये गए कीट के लक्षण नजर आते है तब इसके नियंत्रण के लिए ये उपाय करें –

  1. बुआई से पूर्व दीमक के नियंत्रण हेतु क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा थायोमेथाक्साम 30 प्रतिशत एफ.एस. की 3 मिली० मात्रा प्रति किग्रा० बीज की दर से बीज को शोधित करना चाहिए।
  2. ब्यूवेरिया बैसियाना 1.15 प्रतिशत बायोपेस्टीसाइड (जैव कीटनाशी) की 2.5 किग्रा० प्रति हे0 60-70 किग्रा०गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छिंटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक सहित भूमि जनित कीटों का नियंत्रण हो जाता है।
  3. खड़ी फसल में दीमक/गुजिया के नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली० प्रति हे0 की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।
  4. माहूँ कीट के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. की 1.0 ली० मात्रा अथवा थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. 500 ग्राम प्रति हे0 लगभग 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली० प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है।

सारांश : गेहूं में लगने वाले कीट एवं इनके नियंत्रण के उपाय क्या है, इसके बारे में विस्तार से यहाँ बताया है। उम्मीद है गेंहू की फसल कर रहे हमारे किसान भाइयों के लिए ये जानकारी उपयोगी रही होगी। अगर कीट नियंत्रण से सम्बंधित आपके मन में अन्य कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है। हम बहुत जल्दी आपको रिप्लाई करेंगे।

ये जानकारी हमारे सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी है, इसलिए इसे सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप्प और फेसबुक में शेयर कर सकते है। उन्नत वैज्ञानिक खेती की जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट achchikheti.com से जुड़े रहें। धन्यवाद ! जय जवान – जय किसान !

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