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गेहूं में लगने वाले रोग एवं इनके नियंत्रण के उपाय

गेहूं में लगने वाले रोग एवं इनके नियंत्रण के उपाय क्या क्या है इसकी पूरी जानकारी यहाँ विस्तार से बताएँगे। गेहूं में कीट नियंत्रण के बारे में पिछले पोस्ट में बताया है, उसे भी जरूर पढ़ें। किसी भी फसल की अधिक पैदावार पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है, उन फसलों में होने वाले रोग एवं उनके नियंत्रण कैसे करें इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। रबी फसल में गेंहू की फसल किया जाता है। लेकिन ज्यादातर किसान भाई इसमें लगने वाले रोगों से सावधान नहीं रहते। इससे पैदावार में कमी आती है, जिससे किसान भाइयों को नुकसान उठाना पड़ता है। अगर आप कम या ज्यादा मात्रा में गेंहू की खेती करते है तब आपको इसके रोग नियंत्रण के उपाय के बारे में जरूर जानना चाहिए।

गेंहू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के नाम और इनके रोकथाम के उपाय क्या क्या है, इसकी पूरी जानकारी यहाँ हम बताएँगे। रोगों की रोकथाम हेतु बीज उपचार, भूमि उपचार एवं पर्णीय उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे। गेंहू की खेती कर रहे किसान भाइयों से निवेदन है कि इस जानकारी को पूरा जरूर पढ़िए।

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गेंहू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग

  • गेरूई रोग (काली भूरी एवं पीली) – गेरूई काली, भूरे एवं पीले रंग की होती है। गेरूई की फफूँदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते है जो बाद में बिखर कर अन्य पत्तियों को प्रभावित करते है। काली गेरूई तना तथा पत्तियों दोनों को प्रभावित करती है।
  • करनाल बन्ट – रोगी दाने आंशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते है।
  • अनावृत कण्डुआ – इस रोग में बालियों के दानों के स्थान पर काला चूर्ण बन जाता है जो सफेद झिल्ली द्वारा ढका रहता है। बाद में झिल्ली फट जाती है और फफूँदी के असंख्य वीजाणु हवा में फैल जाते है जो स्वस्थ्य बालियों में फूल आते समय उनका संक्रमण करते है।
  • पत्ती धब्बा रोग – इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पीले व भूरापन लिये हुए अण्डाकार धब्बे नीचे की पत्तियों पर दिखाई देते है। बाद में इन धब्बों का किनारा कत्थई रंग का तथा बीच में हल्के भूरे रंग के हो जाते है।
  • सेहूँ रोग – यह रोग सूत्रकृमि द्वारा होता है इस रोग में प्रभावित पौधों की पत्तियों मुड कर सिकुड जाती है। प्रभावित पौधें बोने रहे जाते है तथा उनमें स्वस्थ्य पौधे की अपेक्षा अधिक शाखायें निकलती है। रोग ग्रस्त बालियाँ छोटी एवं फैली हुई होती है और इसमें दाने की जगह भूरे अथवा काले रंग की गॉठें बन जाते हैं जिसमें सूत्रकृमि रहते है।

गेहूं में लगने वाले रोगों का नियंत्रण के उपाय

1. बीज उपचार

  • अनावृत कण्डुआ एवं करनाल बन्ट के नियंत्रण हेतु थीरम 75 प्रतिशत डब्लू.एस. की 2.5 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.5 ग्राम अथवा कार्बाक्सिन 75 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.0 ग्राम अथवा टेबूकोनाजोल 2 प्रतिशत डी.एस. की 1.0 ग्राम प्रति किग्रा०बीज की दर से बीज शोधन कर बुआई करना चाहिए।
  • अनावृत कण्डुआ एवं अन्य बीज जनित रोगों के साथ-साथ प्रारम्भिक भूमि जनित रोगों के नियंत्रण हेतु कार्बाक्सिन 37.5 प्रतिशत+थीरम 37.5 प्रतिशत डी.एस./डब्लू.एस. की 3.0 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा०बीज की दर से बीजशोधन कर बुआई करना चाहिए।
  • गेहूँ रोग के नियंत्रण हेतु बीज को कुछ समय के लिए 2.0 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोये (200 ग्राम नमक को 10 लीटर पानी घोलकर) जिससे गेहूँ रोग ग्रसित बीज हल्का होने के कारण तैरने लगता है। ऐसे गेहूँ ग्रसित बीजों को निकालकर नष्ट कर दें। नमक के घोल में डुबोये गये बीजों को बाद में साफ पानी से 2-3 बार धोकर सुखा लेने के पश्चात बोने के काम में लाना चाहिए।

2. भूमि उपचार

  • भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों के नियंत्रण हेतु बायोपेस्टीसाइड (जैव कवक नाशी) ट्राइकोडरमा बिरडी 1 प्रतिशत डब्लू पी.अथवा ट्राइकोडरमा हारजिएनम 2 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.5 किग्रा० प्रति हे0 60-75 किग्रा० सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से अनावृत्त कण्डुआ, करनाल बन्ट आदि रोगों के प्रबन्धन में सहायता मिलती है।
  • सूत्रकृमि के नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3 जी 10-15 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव करना चाहिए।

3. पर्णीय उपचार

  • गेरूई एवं पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लू.पी. की 700 ग्राम अथवा जिरम 80 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.0 किग्रा०अथवा मैकोजेब 75 डब्लू.पी. की 2.0 किग्रा०अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2.0 किग्रा०प्रति हे0लगभग 750 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
  • गेरूई के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. की 500 मिली० प्रति हेक्टेयर लगभग 750 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
  • करलान बन्ट के नियन्त्रण हेतु वाइटर टैनाल 25 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.25 किग्रा०अथवा प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी., 500 मिली० प्रति हैक्टर लगभग 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिये ।

सारांश : गेहूं में लगने वाले प्रमुख रोग एवं इनके नियंत्रण के उपाय क्या है इसके बारे में विस्तार से जानकारी बताया है। अब गेहूं की फसल ऊगा रहे हमारे किसान भाइयों को इन रोगों की रोकथाम में काफी मदद मिलेगी। अगर गेंहू की खेती से सम्बंधित आपके मन में अन्य कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है। उचित मार्गदर्शन के साथ हम बहुत जल्दी आपको रिप्लाई करेंगे।

गेंहू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के नाम और इनका नियंत्रण कैसे करते है, इसकी जानकारी हमारे सभी किसान भाइयों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। इसलिए इस जानकारी को उन्हें शेयर करना ना भूलें। इस वेबसाइट पर उन्नत वैज्ञानिक खेती से सम्बंधित जानकारी प्रदान किया जाता है। अगर आप खेती किसानी से सम्बंधित जानकारी पाना चाहते है तो achchhikheti.com से जुड़े रहे। धन्यवाद ! जय जवान – जय किसान !

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