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धान में तना छेदक और पत्ता लपेटक रोग का सरल उपचार

धान में तना छेदक और पत्ता लपेटक रोग का सरल उपचार : आज हम बात करने वाले तना छेदक पर क्योंकि तना छेदक रोग ऐसा है जो हमारी धान की फसल में लग जाता है, तो हमारी धान की फसल को बिल्कुल बर्बाद कर सकता है। इसलिए तना छेदक रोग के लिए हमको खेत की भी 15 से 20 दिन के अंतर पर निगरानी जरूर करते रहना चाहिए और यदि हमारे खेत में एक या दो पौधों में तना छेदक लगा हुआ दिखाई पड़ रहा है, तो हम को तत्काल उसकी रोकथाम के लिए दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।

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धान में तना छेदक के लक्षण

यदि बात करें तना छेदक के लक्षण के तना छेदक पौधे में लग जाता है, वह कितने को अंदर से खाता रहता उसके बाद आपको तना जो है, सूखा हुआ दिखाई पड़ता है, उसके बाद पीला दिखाई पड़ने लगेगा। फिर कुछ दिन बाद पौधा लाल कलर का हो जाएगा और उसके बाद पूरा सूख जाता है। तो इस प्रकार से हम तना छेदक रोग को पहचान सकते हैं। इसके अंदर जो कीड़ा लगता है वह चावल के दाने जैसा बिल्कुल सफेद होता है। इसका मुंह काला या बुरा होता है।

धान में तना छेदक रोग का सरल उपचार

तना छेदक रोग को हम आसानी से कुछ दवाओं का प्रयोग करके नियंत्रण कर सकते हैं। लेकिन दोस्तों आपको ध्यान रखना है अगर तना छेदक के साथ-साथ धान में पत्ती लपेटक कीट भी लगा है, तो आपको किसी अलग से दवा की मात्रा देने की जरूरत नहीं है, यानी जो दवा आप तना चेदक के लिए प्रयोग करेंगे वही दवा आपके पत्ता लपेटक कीट में भी काम करते हैं। लेकिन कुछ दवाएं ऐसे हैं जो केवल तना छेदक रोक के लिए ही काम करेंगे और कुछ दवाएं दोनों लोगों पर आसानी से काम करते हैं।

इसलिए किसान दोस्तों यदि आप के खेत में केवल तना छेदक रोग लगा है तो आप उन दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं जो केवल तना छेदक में कार्य करती हैं। लेकिन यह आपके खेत में तना छेदक के साथ पत्ता लपेटक कीट लगा हुआ है तब आपको उन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए जो दोनों में अच्छी तरह से काम करते हैं। तो चलिए किसान भाइयों आपको यहां पर हम कुछ डिटेल बता देते हैं, जिससे आप इन दवाओं का प्रयोग करके आसानी से इसका फायदा ले सकते हैं।

  • अगर धान में केवल तना छेदक लगा है तो आप Chlorantraniliprole (18.5% SC) की मात्रा प्रयोग कर दें, जो प्रत्येक एक एकड़ के लिए पर्याप्त है और इसका छिड़काव आप करके तना छेदक पर अच्छी तरह नियंत्रित कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त अगर धान में तना छेदक के साथ-साथ आपके खेत में पत्ती लपेटक रोग भी लगा है, तो आप fipronil 5% SC की 500 ML में मात्रा प्रयोग कर सकते हैं।
  • इसके अलावा fipronil 80% WG की 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग कर सकते हैं। ये तना छेदक और पत्ती लपेटक दोनों रोग पर आसानी से नियंत्रण कर लेती है।
  • इसके अतिरिक्त flubendiamide 39.35% की 20ml मात्रा का छिड़काव तना छेदक रोग के लिए कर सकते हैं और यह पत्ती लपेटक पर भी आसानी से नियंत्रण कर लेता है।
  • इसके अतिरिक्त caldan 50 sp की 400 ग्राम मात्रा लेकर के छिड़काव कर दें, इससे आप तना छेदक और पत्ती लपेटा कीट पर आसानी से नियंत्रण कर लेंगे।

ध्यान दें – यदि ज्यादा लगा है तो आपको दोबारा छिड़काव करना पड़ सकता है यदि शुरुआती लक्षण में आपको रोग पर नियंत्रण देखने को मिल जाता तो दुबारा छिड़काव करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यहाँ बताये गए कीटनाशक में से किसी एक का ही चुनाव करें और उसका छिड़काव करें।

अगर इन दवाओं का छिड़काव करने पर आपके खेत में कोई असर दिखाई नहीं पड़ती तो जो दवा आपने पहले प्रयोग किया है, उसको बदल करके दोबारा प्रयोग करें। ध्यान देना है Chlorantraniliprole (18.5% SC) दवा का छिड़काव आप धान की फसल में दोबारा नहीं करें, नहीं तो यह नुकसान दायक साबित हो सकती है।

धान में तना छेदक और पत्ता लपेटक रोग का सरल उपचार कैसे करें, इसकी जानकारी हमारे सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी है। उम्मीद है ये जानकारी आपके काम आएगी। आप अपने खेत में तना छेदक रोग पर नियंत्रण कैसे करते है इसे आप नीचे कमेंट बॉक्स में शेयर कर जरूर करें। इससे हमारे अन्य किसान भाइयों को भी मदद मिलेगी। जय – जवान, जय – किसान ! धन्यवाद !

2 thoughts on “धान में तना छेदक और पत्ता लपेटक रोग का सरल उपचार”

  1. धान के पौधा पूरे तरह से लपेटा कर बरा गए हैं क्या करें।

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    • सर यहाँ हमने पत्ता लपेटक के लिए जो उपचार बताये है उसका इस्तेमाल करें।

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